Monday, November 25, 2024
spot_img
More
    Homeराज्यबिहारSonepur Mela: विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला का हुआ उद्घाटन, बिहार के गौरवशाली...

    Sonepur Mela: विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला का हुआ उद्घाटन, बिहार के गौरवशाली सांस्कृतिक परंपरा का है प्रतीक

    Sonepur Mela: बिहार की राजधानी पटना से महज 20 किलोमीटर दूर सोनपुर में विश्व प्रसिद्ध पशु मेला लगता है. सोनपुर का यह मेला सिर्फ बिहार का सबसे बड़ा मेला ही नहीं, बल्कि एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है. एक समय था जब कहा जाता था कि इस मेले में सुई से लेकर हाथी तक बिकता है. मोक्षदायिनी गंगा और नारायणी (गंडक) नदी के संगम और बिहार के सारण और वैशाली जिले के सीमा पर ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक महत्व वाले सोनपुर क्षेत्र में लगने वाला सोनपुर मेला गौरवशाली सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है. प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने से प्रारंभ होकर एक महीने तक चलने वाले इस प्रसिद्ध मेले का उद्घाटन इस साल 6 नवंबर, रविवार को हुआ.

    प्राचीनकाल से लगनेवाले इस मेले का स्वरूप कालांतर में भले ही कुछ बदला हो, लेकिन इसकी महत्ता आज भी वही है. यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष लाखों देशी और विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं. ‘हरिहर क्षेत्र मेला’ और ‘छत्तर मेला’ के नाम से भी जाना जाने वाला सोनपुर मेले की शुरूआत कब से हुई, इसकी कोई निश्चित जानकारी तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह उत्तर वैदिक काल से माना जाता है. महापंडित राहुल सांकृत्यान ने इसे शुंगकाल का माना है. शुंगकालीन कई पत्थर और अन्य अवशेष सोनपुर के कई मठ मंदिरों में उपलब्ध रहे हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह स्थल ‘गजेंद्र मोक्ष स्थल’ के रूप में भी चर्चित है.

    मान्यता है कि भगवान के दो भक्त हाथी (गज) और मगरमच्छ (ग्राह) के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए. कोनहारा घाट पर जब गज पानी पीने आया तो उसे ग्राह ने मुंह में जकड़ लिया और दोनों में युद्ध प्रारंभ हो गया. कई दिनों तक युद्ध चलता रहा. इस बीच गज जब कमजोर पड़ने लगा तो उसने भगवान विष्णु की प्रार्थना की. भगवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुदर्शन चक्र चलाकर दोनों के युद्ध को समाप्त कराया. इसी स्थान पर दो जानवरों का युद्ध हुआ था, इस कारण यहां पशु की खरीदारी को शुभ माना जाता है. इसी स्थान पर हरि (विष्णु) और हर (शिव) का हरिहर मंदिर भी है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों भक्त पहुंचते हैं. कुछ लोगों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान राम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया था.

    हरिहरनाथ मंदिर समिति के सदस्य और सेवानिवृत्त शिक्षक चंद्रभूषण तिवारी बताते हैं कि प्राचीन काल में हिंदू धर्म के दो संप्रदायों शैव व वैष्णवों में विवाद हुआ करता था, जिससे समाज में संघर्ष और तनाव की स्थिति बनी रहती थी. तब, उस समय के प्रबुद्ध जनों के प्रयास से इस स्थल पर एक सम्मेलन आयोजित कर दोनों संप्रदायों में समझौता कराया गया, जिसके परिणाम स्वरूप हरि (विष्णु) व हर (शंकर) की संयुक्त रूप से स्थापना कराई गई, जिसे हरिहर क्षेत्र कहा गया. इतिहास की पुस्तकों में यह भी प्रमाण मिलता है कि मुगल सम्राट अकबर के प्रधान सेनापति महाराजा मान सिंह ने सोनपुर मेला में आकर शाही सेना के लिए हाथी और अस्त्र-शस्त्र की खरीदारी की थी.

    कहा जाता है कि पहले यह मेला हाजीपुर में लगता था, सिर्फ हरिहर नाथ की पूजा सोनपुर में होती थी. बाद में मेला भी सोनपुर में ही लगने लगा. वैसे इस मेले की ख्याति तो पशु मेले के रूप में है, लेकिन इस मेले में आमतौर पर सभी प्रकार के सामान मिलते हैं. मेले में जहां देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोग पशु के क्रय-विक्रय के लिए पहुंचते हैं, वहीं विदेशी सैलानी भी यहां खींचे चले आते हैं. पहले सोनपुर मेले का मुख्य आकर्षण यहां बिकने वाले बड़ी संख्या में हाथी और घोड़ों से था. लेकिन सरकार द्वारा लगाये गये पशु संरक्षण कानून के कारण अब हाथी की बिक्री नहीं की जाती है. अभी भी इस मेले में खरीद-बिक्री के लिए गाय, घोड़ा, कुत्ता, बिल्लियों को भी देखा जा सकता है. इसके अलावा, आस्था, लोकसंस्कृति व आधुनिकता के रंग में सराबोर विश्व प्रसिद्ध पशु मेले में बदलते बिहार की झलक साफ दिखाई देती है.

    (इनपुट-आईएएनएस)

    ये भी पढ़ें- Bihar By Election Result: मोकामा में RJD की 16420 मतों से जीत, गोपालगंज में BJP का परचम

    RELATED ARTICLES

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    - Advertisment -

    Most Popular

    Recent Comments