Vat Savitri Vrat 2023: आरा: ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर वट सावित्री व्रत रखने का खास महत्व है. 19 मई (शुक्रवार) को महिलाओं ने व्रत रखा और वटवृक्ष की पूजा की. आरा, पटना सहित पूरे बिहार भर में विभिन्न मंदिरों में व अन्य स्थानों पर भोर से ही एकत्र होकर सुहागिनों ने अखंड सौभाग्य के लिए बरगद के वृक्ष की पूजा की. अमावस्या तिथि 18 मई 2023 को रात्रि 9 बजकर 42 मिनट पर प्रारंभ हुई, जिसका समापन 19 मई 2023 को रात्रि 9 बजकर 22 मिनट पर होगा. इस बार, पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 21 मिनट से लेकर पूरे दिन तक है.
बरगद के वृक्ष के नीचे एकत्र होकर महिलाओं ने सामूहिक रूप से कथा का पाठ किया और कच्चा सूत लेकर वृक्ष की परिक्रमा की. वट सावित्री व्रत रखने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु का वरदान मिलता है. ऐसी मान्यता है कि वट सावित्री व्रत कथा के श्रवण मात्र से ही महिलाओं के पति पर आने वाली बलाएं टल जाती हैं.
शास्त्रों में पीपल के पेड़ की तरह ही बरगद के पेड़ का भी खास महत्व बताया गया है. पुराणों में माना गया है कि वटवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है. इस वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यह वृक्ष लंबे समय तक बना रहता है, इसलिए इसे अक्षयवट भी कहा जाता है.
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