पटना: बिहार वन विभाग ने पश्चिम चंपारण में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) के पास एक आदमखोर बाघ को शांत करने के लिए जाने-माने वन्यजीव शिकारी नवाब शफात अली खान को काम पर रखा है. यह बाघ बहुत चालाक साबित हुआ. बाघ के लिए जाल बिछाया गया, लेकिन बाघ ने शिकारी और वन एवं वन्यजीव विभाग के अधिकारियों की टीम के सामने से एक बकरी को उठा ले गया, जिसे उसके चारे के रूप में रखा गया था.
वन विभाग (Bihar Forest Department) के निदेशक सुरेंद्र सिंह, वीटीआर निदेशक डॉ. के. नेशमणि, डीएफओ प्रद्युम्न गौतम, डीएफओ-वन्यजीव पश्चिम चंपारण डॉ. नीरज नारायण, 15 अन्य अधिकारियों के साथ वीटीआर में चार दिनों से डेरा डाले हुए हैं, ताकि आदमखोर बाघ को पकड़ने के प्रयासों की निगरानी की जा सके. टीम और नवाब शफात अली ने वीटीआर से सटे हरिहरपुर गांव में जाल अभियान का नेतृत्व किया, लेकिन बाघ ने बकरी को मार डाला और शिकारी के गोली मारने पर भी बचकर निकल गया.
एक अधिकारी के मुताबिक, टीम ने मंगलवार की रात एक भैंस और एक बकरी को लोहे के पिंजरे में रखा था, लेकिन बाघ नहीं आया. बुधवार की रात को भी एक बकरी को पिंजरे में डाल दिया गया और गुरुवार को बाघ तड़के आकर वहां से फरार हो गया. डॉ. नेशमणि ने कहा, “आदमखोर बाघ (Aadamkhor Bagh) बहुत चालाक और फुर्तीला होता है. यह हर दो से तीन घंटे में स्थान बदलता है. हमने हरिहरपुर गांव में जाल बिछाया है. जब बकरी पिंजरे के अंदर थी, तो वह नहीं आया. जैसे ही हमने उसे पिंजरे के बाहर बांध दिया, वह आया और उस पर हमला किया और उसे मार डाला.”
अधिकारी ने कहा, “बाघ (Tiger) बुधवार सुबह चिहुताहा वन क्षेत्र या वीटीआर में स्थित था और गुरुवार सुबह नेपाल सीमा पर स्थित राघिया वन क्षेत्र में मसान नदी पार कर पहुंचा.” आदमखोर बाघ (Man Eating Tiger) के कारण हरनहाट वन क्षेत्र के अंतर्गत बैरिया कानन गांव, बरवा कलां, देवरिया तरुआंवा और चिहुताहा वन क्षेत्र के अंतर्गत जिमरी, कथाहसनपुर, कदमहवा, हरिहरपुर के ग्रामीण रात के साथ-साथ दिन में भी काफी दहशत में हैं. बाघ ग्रामीणों पर दिन में भी हमला कर रहा है, जब वे खेती कर रहे होते हैं.
(इनपुट-आईएएनएस)
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