Friday, November 22, 2024
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    Hijab Case: हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: छात्र धोती पहनना चाहें, तो क्या अनुमति दे दें?

    SC Hearing on Hijab Ban Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बुधवार को कहा कि मुद्दा यह है कि एक विशेष समुदाय हिजाब पर जोर देता है, जबकि अन्य एक यूनिफॉर्म का पालन करते हैं. पीठ ने कहा कि पोशाक पहनने के अधिकार को एक अतार्किक अंत तक नहीं ले जाया जा सकता. एक मुस्लिम छात्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने प्रस्तुत किया कि पोशाक के अधिकार को अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है और कहा गया है कि अगर कोई हिजाब पहनकर स्कूल जाता है और उस व्यक्ति को अनुमति नहीं दी जाती, तो राज्य अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करता है.

    कामत ने न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) छात्रों को उनकी पहचान व सम्मान और शिक्षा के अधिकार के बीच चयन करने के लिए मजबूर कर रही है. इस पर, न्यायमूर्ति गुप्ता ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, “आप इसे एक अतार्किक अंत तक नहीं ले जा सकते. पोशाक का अधिकार एक मौलिक अधिकार (Fundamental Right) है, तो फिर क्या कपड़े नहीं पहनने का अधिकार भी एक मौलिक अधिकार बन जाता है?” जब अधिवक्ता कामत ने कहा कि कई स्टूडेंट्स रूद्राक्ष और क्रॉस को धार्मिक प्रतीक के तौर पर पहनते हैं तो जज ने कहा, “रुद्राक्ष, क्रॉस आदि बाहर से नहीं दिखता. वो सब यूनिफॉर्म के भीतर होते हैं.”

    न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि कोई भी पोशाक के अधिकार से इनकार नहीं कर रहा है. कामत ने तब कहा कि क्या इस अतिरिक्त पोशाक (Hijab) को पहनना अनुच्छेद 19 के आधार पर प्रतिबंधित किया जा सकता है? न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि यहां समस्या यह है कि एक विशेष समुदाय सिर पर स्कार्फ पहनने पर जोर दे रहा है, जबकि अन्य समुदाय ड्रेस कोड (Dress Code) का पालन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अन्य समुदायों के छात्र यह नहीं कह रहे हैं कि वे यह और वह पहनना चाहते हैं. जस्टिस गुप्‍ता ने पूछा कि यदि कोई छात्रा सलवार-कमीज पहनना चाहती है या छात्र धोती पहनना चाहते हैं, तो क्‍या इसकी भी अनुमति दे दी जाए? अभी आप Right to Dress की बात कर रहे हैं, तो बाद में आप Right to Undress की बात भी करेंगे, ये जटिल सवाल है.

    कामत ने कहा कि अगर कोई लड़की हिजाब पहनती है तो क्या राज्य इस पर रोक लगा सकता है? पीठ ने जवाब दिया, “कोई भी उसे हिजाब पहनने से मना नहीं कर रहा है, लेकिन केवल स्कूल में इस पर प्रतिबंध है.” जब कामत ने अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका के विदेशी फैसलों का हवाला दिया, तो न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा, भारत आईए, यहां जैसी विविधता कहीं नहीं है. इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी. गौरतलब है कि शीर्ष अदालत (Supreme Court) कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य के कॉलेजों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के शैक्षणिक संस्थानों के अधिकार को बरकरार रखा गया था.

    (इनपुट-आईएएनएस)

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