Saturday, April 19, 2025
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    Bihar: दो पत्नियों के बीच ऐसे बंट गया पति, जानिए पूर्णिया का ये अजीबो-गरीब मामला

    Purnia News: बिहार के पूर्णिया जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति को अपनी दो पत्नियों के साथ समय बिताने के लिए सप्ताह के दिनों का बंटवारा करना पड़ा. यह निर्णय पुलिस परिवार परामर्श केंद्र द्वारा लिया गया, जिसमें पति को सप्ताह में तीन दिन पहली पत्नी के साथ, तीन दिन दूसरी पत्नी के साथ और एक दिन ‘वीक ऑफ’ के रूप में बिताने का आदेश दिया गया.

    रूपौली थाना क्षेत्र के निवासी इस व्यक्ति ने लगभग सात साल पहले पहली पत्नी को बिना तलाक दिए दूसरी शादी कर ली थी. पहली पत्नी, जिससे उसके दो बच्चे हैं, ने आरोप लगाया कि पति ने दूसरी शादी के बाद न केवल उसे छोड़ दिया, बल्कि बच्चों की देखभाल और खर्चों की जिम्मेदारी भी नहीं निभाई. इससे परेशान होकर पहली पत्नी ने पुलिस अधीक्षक कार्तिकेय शर्मा से शिकायत की, जिन्होंने मामले को परिवार परामर्श केंद्र को सौंप दिया.

    परामर्श केंद्र में सुनवाई के दौरान, पति ने अपनी गलती स्वीकार की और बताया कि वह दोनों पत्नियों और उनके बच्चों की जिम्मेदारी निभाना चाहता है, लेकिन दोनों पत्नियों के बीच के विवाद के कारण वह असमंजस में है. पहली पत्नी ने पति पर आरोप लगाया कि उसने दूसरी शादी के बाद से उसे और बच्चों को छोड़ दिया है, जबकि दूसरी पत्नी ने पति को पहली पत्नी के पास जाने से रोका.

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    परिवार परामर्श केंद्र ने सभी पक्षों की बात सुनने के बाद एक अनोखा समाधान निकाला. केंद्र ने निर्णय लिया कि पति सप्ताह में तीन दिन पहली पत्नी के साथ, तीन दिन दूसरी पत्नी के साथ रहेगा और एक दिन ‘वीक ऑफ’ के रूप में होगा, जिसमें वह अपनी मर्जी से किसी एक के साथ समय बिता सकता है या स्वतंत्र रह सकता है. साथ ही, पति को पहली पत्नी के बच्चों की पढ़ाई और भरण-पोषण के लिए हर महीने 4,000 रुपये देने का आदेश दिया गया.

    इस अनोखे फैसले ने समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं. कुछ लोग इसे व्यावहारिक समाधान मानते हैं, जबकि अन्य इसे पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ मानते हैं. हालांकि, संबंधित परिवार ने इस समझौते को स्वीकार कर लिया है और अपने जीवन को नए सिरे से संतुलित करने का प्रयास कर रहे हैं.

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    यह मामला दर्शाता है कि पारिवारिक विवादों में संवाद और समझौते के माध्यम से समाधान निकाला जा सकता है. हालांकि, यह समाधान पारंपरिक मान्यताओं से अलग है, लेकिन संबंधित पक्षों की सहमति और भलाई को ध्यान में रखते हुए इसे अपनाया गया है.

    यह भी पढ़ें- भारत के सांस्कृतिक इतिहास को करीब से देखना चाहते हैं, तो जरूर करें बिहार की यात्रा

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