पटना: बिहार के सभी सरकारी स्कूलों में पहली बार कक्षा एक से आठवीं के छात्रों के बीच पाठ्य पुस्तकों के साथ अभ्यास पुस्तकें और महात्मा गांधी व पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की शिक्षाओं वाली स्कूल डायरी मुफ्त में वितरित की जाएंगी. बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि यह कदम राज्य में शैक्षणिक मानकों में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे उपायों का एक हिस्सा है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों को छात्रों और अन्य गतिविधियों के प्रदर्शन को दर्ज करने के लिए डायरी दी जाएगी.
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कहा, ‘‘यह पहली बार है जब कक्षा एक से आठवीं के छात्रों को मुफ्त में अभ्यास पुस्तकें प्रदान की जाएंगी. राज्य सरकार की सामाजिक सुधार पहल सहित प्रासंगिक जानकारी और महात्मा गांधी व एपीजे अब्दुल कलाम की शिक्षाओं वाली स्कूल डायरी भी उन्हें दी जाएंगी. सिंह ने कहा, ‘‘शिक्षकों को भी दिन-प्रतिदिन की प्रगति रिपोर्ट बनाए रखने के लिए डायरी दी जाएगीं.’’ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के परामर्श से यह निर्णय लिया है.
दीपक कुमार सिंह ने कहा कि इससे पहले सरकारी स्कूलों में छात्रों को केवल पाठ्य पुस्तकें दी जाती थीं. नयी योजना के लिए धन की उपलब्धता के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि सरकार ने शिक्षा के लिए आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि की है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार बिहार में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है. शिक्षा पर कोई भी खर्च एक निवेश माना जाता है. 2020-21 में कुल 12959 करोड़ रुपये खर्च किए गए. 6054 करोड़ रुपये (46.7 प्रतिशत) प्रारंभिक शिक्षा पर और बाकी (52.6 प्रतिशत) माध्यमिक और उच्च शिक्षा पर खर्च किए गए.” पंचांगों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘बापू’ और ‘कलाम’ की शिक्षाएं आज भी हम सभी को प्रेरित करती हैं. सिंह ने कहा, ‘‘बच्चे इन शिक्षाओं से लाभान्वित हो सकते हैं. इसके साथ ही, बिहार सरकार की सामाजिक सुधार पहलों को भी स्कूल डायरी में जगह मिलेगी.’’
बिहार आर्थिक सर्वेक्षण (2021-22) के अनुसार बिहार में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की कुल संख्या 2016-17 में 72981 से बढ़कर 2019-20 में 75295 हो गई. इनमें से 42408 प्राथमिक विद्यालय और 32887 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं. 2019-20 में स्कूलों की संख्या के मामले में तीन सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले जिले पटना (4002), पूर्वी चंपारण (3852) और मुजफ्फरपुर (3201) थे. तीन सबसे कम स्कूलों वाले जिले शिवहर (425), अरवल (555) और शेखपुरा (581) थे.
(इनपुट-भाषा)
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