Politics in India: कांग्रेस समेत देश के तमाम विरोधी दल बढ़ रही महंगाई को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार (BJP Government) पर निशाना साधते रहते हैं. संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन यानी 18 जुलाई से विपक्ष लगातार संसद के दोनों सदनों में खाद्य पदार्थों पर लगाए गए GST और महंगाई के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा कर रहा है. 28 और 29 जुलाई की कार्यवाही को छोड़ दिया जाए (इन दोनों दिन अधीर रंजन चौधरी के बयान पर दोनों सदनों में हंगामा हुआ था) तो लगातार आठ दिनों तक संसद में महंगाई और जीएसटी को लेकर ही हंगामा होता रहा.
दरअसल, विपक्षी दलों (Opposition Parties) को यह लग रहा है कि वो महंगाई और खाद्य पदार्थों पर लगाए गए जीएसटी पर चर्चा करा कर, सदन के जरिए सरकार को जनता के बीच बेनकाब कर सकते हैं, लेकिन सरकार इस मुद्दें पर डिफेंसिव होने की बजाय आक्रामक अंदाज में बैटिंग करने की तैयारी कर रही है. विपक्षी दलों के नेता अपने सवालों की लिस्ट के साथ सरकार पर हावी होने की तैयारी कर रहे हैं तो वहीं BJP और सरकार के मंत्री महंगाई और खाद्य पदार्थों पर लगाए गए जीएसटी को लेकर विपक्षी दलों से ही सवाल पूछने की तैयारी कर रहे हैं.
सरकार के एक बड़े मंत्री ने बताया कि महंगाई और खाद्य पदार्थों पर लगाए गए जीएसटी के मुद्दे पर विपक्ष सिर्फ राजनीति कर रहा है. उनके राज्य सरकारों के मंत्री जीएसटी काउंसिल की बैठक (GST Council Meeting) में जीएसटी लगाने के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं और बाहर ये राजनीतिक दल विरोध करने का नाटक करते हैं. उन्होंने कहा कि सदन में अगर इस मुद्दे पर चर्चा होती है तो जनता के सामने विपक्ष का पदार्फाश हो जाएगा.
BJP के पास सवालों की एक लंबी लिस्ट तैयार है जो सदन में चर्चा के दौरान उनके सांसद और जवाब देने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) भी विपक्षी दलों से पूछती नजर आएंगी. सरकार महंगाई के मुद्दे पर सबसे ज्यादा हंगामा करने वाले राजनीतिक दलों – कांग्रेस, टीएमसी, टीआरएस, डीएमके, आप और लेफ्ट से यह पूछेगी कि उनकी राज्य सरकारों ने आम जनता को महंगाई से राहत देने के लिए अब तक क्या किया? उनकी राज्य सरकारों ने एनडीए सरकारों की तर्ज पर आम जनता को महंगाई की मार से राहत देने के लिए पेट्रोल और डीजल पर वैट की दर को क्यों नहीं घटाया?
खाद्य पदार्थों पर लगाए गए जीएसटी को लेकर मचे राजनीतिक बवाल पर भी सरकार विपक्षी दलों से यह पूछने की तैयारी कर रही है कि बाहर इस मसले पर हंगामा करने वाले कांग्रेस, टीएमसी, टीआरएस, डीएमके, आम आदमी पार्टी और लेफ्ट की राज्य सरकारों के मंत्रियों ने जीएसटी काउंसिल में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से कैसे पारित होने दिया? आखिर विपक्ष यह किस तरह की राजनीति कर रहा है कि जिस प्रस्ताव को उनके मंत्री सर्वसम्मति से जीएसटी काउंसिल की बैठक में पारित करते हैं, उसी प्रस्ताव पर विपक्षी दल सदन में लगातार हंगामा कर रहे हैं और सदन की कार्यवाही चलने नहीं दे रहे हैं?
यूपीए सरकार (UPA Government) के दौरान महंगाई की दर का हवाला देते हुए सरकार सदन में चर्चा के दौरान यह पक्ष भी रखेगी कि वैश्विक संकट के बावजूद मोदी सरकार की कोशिशों की वजह से ही भारत में महंगाई की दर औसतन 4-6 प्रतिशत के बीच बनी हुई है. दुनिया के विकसित देशों के साथ भारत की तुलना करते हुए यह तथ्य भी रखा जाएगा कि जहां अमेरिका और यूरोपीय देशों में महंगाई की दर एक-डेढ़ प्रतिशत से बढ़कर 11 प्रतिशत तक पहुंच गई है वहीं मोदी सरकार (Modi Government) की कोशिशों की वजह से भारत में इसकी दर औसतन 4-6 प्रतिशत के बीच बनी हुई है. तमाम कठिनाइयों और वैश्विक समस्याओं के बावजूद भारत में महंगाई की दर 7 प्रतिशत के आसपास है जो विदेशों की तुलना में बहुत कम है.
दरअसल, सदन में दो सप्ताह तक मचे हंगामे के बाद महंगाई के मुद्दे पर चर्चा कराने को लेकर सहमति बन गई है. सोमवार को लोकसभा में महंगाई के मसले पर नियम-193 के तहत चर्चा हो सकती है. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और शिवसेना सांसद विनायक राउत की ओर से महंगाई के मुद्दे पर नियम-193 के तहत चर्चा कराने को लेकर नोटिस दिया गया है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है. विपक्षी दल इस चर्चा के बहाने सरकार को घेरने की कोशिश करना चाहते हैं, लेकिन नई तरह की राजनीति कर विपक्षी दलों को चौंकाने में माहिर भाजपा अब महंगाई के मसले पर सवालों की झड़ी लगाकर विपक्षी दलों को ही बेनकाब करने की रणनीति पर काम कर रही है.
(इनपुट-आईएएनएस)