PIB Fact Check: यदि आपको सोशल मीडिया या किसी अन्य स्रोत से पता चलता है कि 500 रुपये का वैसा नोट नहीं लेना चाहिए, जिसमें हरी पट्टी आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर के पास नहीं, बल्कि गांधीजी की तस्वीर के पास है, तो आपको इस फर्जी दावे पर विश्वास नहीं करना चाहिए. पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट ने हाल ही में सोशल मीडिया पर चल रही 500 रुपये के नोट के बारे में फर्जी खबरों के प्रति लोगों को सचेत किया है. पीआईबी ने इस पर फैक्ट चेक किया और आरबीआई ने साफ कहा है कि दोनों तरह के नोट मान्य हैं.
इससे पहले, केंद्रीय बैंक ने 500 रुपये के नोटों के रहस्यमय ढ़ंग से देश की इकोनॉमी से गायब होने के दावों पर जवाब दिया था. भारतीय रिजर्व बैंक ने 500 रुपये के नोट गायब होने की खबरों का खंडन किया था. आरबीआई ने एक प्रेस रिलीज के जरिए कहा था कि उसके सिस्टम से 88,032.5 करोड़ रुपये गायब होने की खबर गलत है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि आरटीआई के तहत देश की तीन प्रिंटिंग प्रेसों से 500 रुपये के नोटों को लेकर दी गई जानकारी की गलत व्याख्या की गई.
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति और ट्विटर पोस्ट में कहा था कि आरबीआई को जानकारी मिली है कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में 500 रुपये के नोट के सिस्टम से गायब होने के दावे किए जा रहे हैं, जो की पूरी तरह से फर्जी है. प्रिंटिंग प्रेस से मिली जानकारी को गलत समझा गया और यह जानना जरूरी है कि प्रिंटिंग प्रेस में जो भी नोट छपते हैं, वे पूरी तरह सुरक्षित हैं. इन बैंक नोटों के उत्पादन, भंडारण और वितरण की निगरानी आरबीआई द्वारा पूरे प्रोटोकॉल के साथ की जाती है और इसके लिए एक मजबूत प्रणाली मौजूद है.
दावा: ₹500 का वह नोट नहीं लेना चाहिए जिसमें हरी पट्टी आरबीआई गवर्नर के सिग्नेचर के पास न होकर गांधीजी की तस्वीर के पास होती है।#PIBFactCheck:
✔️यह दावा #फ़र्ज़ी है।
✔️@RBI के अनुसार दोनों ही तरह के नोट मान्य होते हैं।
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— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) June 24, 2023
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