Lal Bahadur Shastri Jayanti: आज हम देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बारे में बात कर रहे हैं. उनकी सादगी और शालीनता की अनेकों कहानियां हैं. वह कभी भी दिखावा करने के पक्षधर नहीं रहे. पहनावे, चाल-चलन से लेकर खाने-पीने तक में वह सादगी के पक्षधर थे. आज, यानी 2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री की जयंती है. लाल बहादुर शास्त्री की सादगी से जुड़े कई दिलचस्प किस्से हैं. ऐसे ही किस्सों में से एक यह है कि एक बार उनके बेटे ने उन्हें बिना बताए सरकारी कार का इस्तेमाल कर लिया था, तब उन्होंने किलोमीटर (जितनी गाड़ी चली थी) के हिसाब से सरकारी खाते में पैसे जमा कराए थे. आइए जानते हैं क्या है वो किस्सा.
लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि प्रधानमंत्री बनने के बाद पिताजी को सरकारी शेवरले इंपाला गाड़ी मिली थी. एक दिन रात में पिताजी से चोरी-छुपे उस कार को लेकर मैं दोस्तों के साथ बाहर घूमने चला गया और देर रात वापस लौटा. हालांकि, बाद में मुझे पिताजी को सच्चाई बतानी पड़ी कि सरकारी कार से हम लोग घूमने गए थे. इस बात को सुनने के बाद पिताजी ने कहा कि सरकारी गाड़ी सरकारी काम के लिए है, अगर कहीं जाना होता है तो घर वाली गाड़ी का इस्तेमाल किया करो.
सुनील शास्त्री के अनुसार, उनके पिता ने दूसरे ही दिन सुबह ड्राइवर से पूछा कि कल शाम के बाद रात में गाड़ी कितनी किलोमीटर चली थी. इसके बाद, ड्राइवर ने जवाब में बताया कि गाड़ी 14 किमी तक चली थी. इस जवाब के बाद उन्होंने अपने ड्राइवर से कहा कि इसे निजी काम में इस्तेमाल किया गया है, इसलिए प्रति किलोमीटर के हिसाब से 14 किलोमीटर का जितना पैसा बनता है उतना सरकारी खाते में जमा करा दें. सुनील शास्त्री आगे कहते हैं कि इसके बाद उन्होंने या उनके भाई ने कभी भी निजी काम के लिए सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल नहीं किया.
लाल बहादुर शास्त्री के बारे में कहा यह भी जाता है कि किसी भी फैसले को देश की जनता पर लागू करने से पहले अपने परिवार पर लागू करते थे. जब वह आश्वस्त हो जाते थे कि इस फैसले को लागू करने से कोई दिक्कत नहीं होगी तभी वह देश के सामने उस फैसले को रखते थे. ये घटना उस वक्त की है जब 1965 की लड़ाई के दौरान अमरीकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने शास्त्री को धमकी दी थी कि अगर आपने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध बंद नहीं किया तो हम आपको पीएल 480 के तहत जो गेहूं भेजते हैं, उसे बंद कर देंगे.
शास्त्री को अमरीकी राष्ट्रपति की ये बात बहुत चुभी थी, क्योंकि वो स्वाभिमानी व्यक्ति थे. तब शास्त्री ने देशवासियों से हफ्ते में एक वक्त का खाना छोड़कर उपवास रखने के लिए कहा था. ऐसा नहीं था कि लाल बहादुर शास्त्री ने इस फैसले को देश की जनता पर थोप दिया था. सबसे पहले उन्होंने यह प्रयोग अपने और अपने परिवार पर किया था. वह जब इस बात को समझ गए कि ऐसा किया जा सकता है, उनके बच्चे भूखे रह सकते हैं, तब उन्होंने देश की जनता से यह अपील की थी.
(इनपुट-आईएएनएस)
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