SC Verdict on Karnataka Hijab Ban Case: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर लगा प्रतिबंध हटाने से इनकार करने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को खंडित फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज कर दीं, जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने उन्हें स्वीकार किया.
न्यायमूर्ति गुप्ता ने फैसला सुनाते हुए शुरुआत में कहा, ‘‘इस मामले में मतभेद है.’’ पीठ ने खंडित फैसले के मद्देनजर निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली इन याचिकाओं को एक उचित वृहद पीठ के गठन के लिए प्रधान न्यायाधीश (CJI) के समक्ष रखा जाए. न्यायमूर्ति धूलिया ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गलत रास्ता अपनाया और हिजाब पहनना अंतत: “पसंद का मामला है, इससे कम या ज्यादा कुछ और नहीं.’’ न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि उन्होंने अपने निर्णय में अनिवार्य धार्मिक प्रथा की अवधारणा पर मुख्य रूप से जोर दिया, जो विवाद का मूल नहीं है.
न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि उनका ध्यान बालिकाओं की शिक्षा पर था, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में रह रही छात्राओं पर. उन्होंने पूछा, ‘‘क्या हम उनका जीवन बेहतर बना रहे हैं.’’ न्यायमूर्ति धूलिया ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्होंने राज्य सरकार के पांच फरवरी, 2022 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके जरिए स्कूल और कॉलेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाले कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
गौरतलब है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने 15 मार्च को राज्य के उडुपी में गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग द्वारा कक्षाओं के अंदर हिजाब (Hijab) पहनने की अनुमति दिए जाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था. उच्च न्यायालय ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.
(इनपुट-भाषा)
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