पटना: बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव मुश्किल में पड़ सकते हैं. दिल्ली स्थित स्पेशल कोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर तेजस्वी यादव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. यदि सीबीआइ की याचिका मंजूर हो जाती है, तो तेजस्वी को आईआरसीटीसी घोटाला मामले में जेल जाना पड़ सकता है. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक विशेष जज गीतांजलि गोयल ने तेजस्वी यादव को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार आईआरसीटीसी घोटाला मामले में तेजस्वी की जमानत को रद्द करने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, यानी सीबीआई ने दिल्ली की विशेष अदालत में गुहार लगाई है. बता दें कि इस मामले में तेजस्वी यादव वर्ष 2018 से ही बेल पर हैं. यदि कोर्ट इस मामले में तेजस्वी यादव की जमानत खारिज करता है, तो बिहार में डिप्टी सीएम की उनकी कुर्सी भी संकट में पड़ सकती है.
Special Judge Geetanjali Goel issued notice to Tajaswi Yadav on CBI’s plea and sought his response in the matter. https://t.co/V8ANWrdU3w
— ANI (@ANI) September 17, 2022
यदि सीबीआई अपने आरोप कोर्ट में साबित करने में सफल रहती है, तो तेजस्वी यादव को इस मामले में 7 वर्ष तक की सजा हो सकती है. इस केस में तेजस्वी यादव के साथ ही उनकी मां राबड़ी देवी भी आरोपित हैं. मां और बेटे को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने इस मामले में साल 2018 में जमानत दी थी. राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो और तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव इस मामले में मुख्य आरोपित हैं.
बता दें कि आईआरसीटीसी स्कैम में कुल 14 लोग आरोपित बनाए गए हैं. सीबीआई ने पहले इस मामले में 8 लोगों के खिलाफ जांच शुरू की थी. बाद में 6 और लोगों के नाम भी इस घोटाले में शामिल किए गए. यह मामला तब का है, जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे. इसी दौरान आईआरसीटीसी की तरफ से पुरी और रांची के रेलवे होटल को रखरखाव और सुधार के लिए निजी एजेंसी को दिया गया था. आरोप है कि लालू ने अपनी पोस्ट का दुरुपयोग करते हुए नियमों को दरकिनार कर यह काम विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाजा होटल्स को दिया था.
सीबीआई के मुताबिक कोचर ने इन होटलों के एवज में पटना के बेली रोड पर 3 एकड़ का अपना प्लॉट लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी प्रेम गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता की कंपनी को मार्केट रेट से काफी कम कीमत पर बेच दिया था. इस जमीन को मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड ने 1.47 करोड़ रुपए में खरीदा था, जबकि इस जमीन की वास्तविक कीमत काफी अधिक थी. यह जमीन सरकार द्वारा तय की गई सर्कल रेट से भी कम पर बेची गई थी.
सीबीआई के अनुसार बाद में इसी जमीन को लालू यादव की पारिवारिक कंपनी लारा प्रोजेक्ट ने सिर्फ 65 लाख रुपये में ही खरीद लिया. तब सरकारी दर से इस जमीन की कीमत करीब 32 करोड़ रुपये औऱ बाजार दर से करीब 94 करोड़ रुपए थी. सीबीआई के मुताबिक यह प्रॉपर्टी 1 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक की हो सकती है. बीजेपी नेता सुशील मोदी ने करीब पांच वर्ष पहले दावा किया था कि लालू प्रसाद यादव का परिवार इसी जमीन पर पटना का सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल बनवाने की तैयारी में जुटा हुआ है.
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