Air Pollution Affect Newborns: किसी शिशु के जीवन के पहले छह महीने में वायु प्रदूषण की जद में आने से उसके गट बैक्टीरिया (आंतों में रहने वाले जीवाणु) इस कदर प्रभावित हो सकते हैं कि उसे एलर्जी, मोटापा और मधुमेह जैसी जटिल बीमारियों का खतरा हो सकता है. एक अध्ययन में यह खुलासा किया गया है. ‘गट माइक्रोब्स’ नामक पत्रिका में हाल में प्रकाशित यह शोध पहला ऐसा अध्ययन है, जिसमें जीवन के विकास के अहम चरण में वाहनों, जंगल की आग और उद्योगों जैसे प्रदूषणकारी कारकों और शिशु के स्वास्थ्य में बदलाव के बीच संबंध दर्शाया गया है.
पत्रिका में पहले प्रकाशित एक अध्ययन में युवा वयस्कों में भी इसी तरह के परिणाम सामने आये थे. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बूल्डर, अमेरिका में सहायक प्रोफेसर तान्या एल्डरेट ने कहा, ‘‘यह अध्ययन बताता है कि वायु प्रदूषण की जद में आने से शैशवावस्था में भी आंतों के जीवाणु प्रभावित हो सकते हैं और शारीरिक विकास पर असर पड़ सकता है.’’ जन्म के समय नवजात के शरीर में अंतर्निहित जीवाणु होते हैं, वहीं उसके जीवन के पहले दो से तीन साल में मां का दूध, ठोस आहार, एंटीबायोटिक और अन्य पर्यावरण संबंधी प्रभाव महत्वपूर्ण होते हैं.
प्रोफेसर ने बताया कि कई जीवाणु लाभ पहुंचाने वाले होते हैं तो कुछ से दमा, टाइप 2 डायबिटीज और अन्य जटिल बीमारियों का जोखिम होता है. अनुसंधानकर्ताओं ने इस अध्ययन में 103 स्वस्थ और मुख्य रूप से स्तनपान करने वाले लैटिन अमेरिकी बच्चों के मल के नमूने लिये और इनका विश्लेषण करने के लिए आनुवंशिक अनुक्रमण का इस्तेमाल किया.
(इनपुट-भाषा)
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