Bihar Exam Paper Leak: पटना: बिहार में जब भी कोई परीक्षा होती है तो उसमें शामिल लेने वाले अभ्यर्थियों के मन में आशंका बनी रहती है कि परिणाम सही तरीके से नहीं निकलेगा. ऐसी आशंका का कारण राज्य में अक्सर लीक होने वाले प्रश्नपत्र हैं. बिहार में पिछले एक साल में 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा से लेकर प्रतिष्ठित बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) तक लगभग सभी परीक्षाओं के पेपर लीक हो गए. नतीजतन, युवाओं का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है, क्योंकि वे पहले से ही राज्य में नौकरी के संकट का सामना कर रहे हैं. ताजा पेपर लीक मामला 4 फरवरी को हुआ, जब बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड (बीएसईबी) कक्षा 12वीं का अंग्रेजी का पेपर शुरू होने से 30 मिनट पहले सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. परीक्षा सुबह 10 बजे शुरू हुई. इससे पहले, 1 फरवरी को मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण जैसे कई जिलों में बीएसईबी कक्षा 12वीं का गणित का पेपर लीक हो गया था. परीक्षा सुबह 10 बजे शुरू हुई और पेपर व्हाट्सऐप और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया पर सुबह 9.40 बजे आ गया. हालांकि, बाद में लीक हुए पेपर के फर्जी होने की पुष्टि की गई थी.
बिहार पुलिस ने 24 दिसंबर को बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) की परीक्षा में पेपर लीक मामले में रैकेट के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था. उनमें से एक पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी शहर के जुबली स्कूल शांतिपुर स्थित परीक्षा केंद्र में परीक्षार्थी के रूप में उपस्थित हुआ. आरोपी ने सुबह 10.53 बजे से 11.09 बजे के बीच प्रश्नपत्र की फोटो खींचकर अपने साथी को वाट्सऐप पर भेज दी थी. बीएसएससी की परीक्षा में शामिल हुए छात्रों ने सभी पालियों की परीक्षा रद्द करने की मांग की. उन्होंने पटना की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया और 4 जनवरी 2023 को सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, जिसके कारण पटना पुलिस ने डाक बंगला चौक पर उन पर लाठीचार्ज किया, जिससे कई उम्मीदवारों को चोटें आईं.
सबसे हैरान करने वाली घटना 9 मई 2022 को हुई, जब भोजपुर जिले के कुंवर सिंह कॉलेज आरा से 67वीं बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक हो गए. इसके बाद, बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के एडीजीपी नय्यर हसनैन खान ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया, जिसने भोजपुर जिले के बरहरा अंचल के प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) जयवर्धन गुप्ता सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया. गुप्ता को कुंवर सिंह कॉलेज आरा में स्टैटिक मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात किया गया था. आर्थिक अपराध शाखा के एसपी सुशील कुमार की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने इन अधिकारियों के खिलाफ आरा जिले के बरहरा थाने में आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर (संख्या 20/2022) दर्ज की थी. ये अधिकारी कथित तौर पर 67वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा में कदाचार में शामिल थे.
एसआईटी के एक अधिकारी ने कहा, इन अधिकारियों की मौजूदगी में कुछ छात्रों को परीक्षा के निर्धारित समय से पहले प्रश्नपत्र दे दिए गए. प्रश्नपत्र परीक्षा नियंत्रक के कार्यालय में भी मिले. अधिकारी ने कहा, नियमों के अनुसार, छात्रों और कॉलेज के कर्मचारियों के लिए परीक्षा केंद्रों पर मोबाइल फोन नहीं ले जाने के लिए सख्त दिशानिर्देश हैं. फिरभी, परीक्षा नियंत्रक के कार्यालय में प्रश्नपत्रों के साथ मोबाइल फोन उपलब्ध थे. इन अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया था. उनके बयानों के आधार पर एसआईटी पेपर लीक के सरगना की पहचान करने में कामयाब रही. उसकी पहचान बिहार सैन्य पुलिस (बीएमपी) की यूनिट 14 के डीएसपी रंजीत रजक के रूप में हुई. रजक पर वर्ष 2012 में भी एसएससी की परीक्षा में धांधली का आरोप था. ईओयू ने उसे 2014 में एक गैर योग्य उम्मीदवार के रूप में सिफारिश की, लेकिन जीतन राम मांझी सरकार ने उसके परिणाम के लिए मंजूरी दे दी और वह बिहार पुलिस में डीएसपी रैंक का अधिकारी बन गया.
ईओयू के एक अधिकारी ने कहा, बीपीएससी पेपर लीक मामले की जांच के दौरान, हमने रंजीत रजक को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया. जब वह ईओयू की एसआईटी के सामने पेश हुआ, तो उसने अपना सेल फोन तोड़ दिया और दावा किया कि वह निर्दोष है और पेपर लीक मामले से उसका कोई लेना-देना नहीं था. इसके अलावा, उसने अपने घर की भी सफाई की थी, शायद सबूत नष्ट करने के लिए उसने ऐसा किया था. जांच के दौरान, यह पता चला कि उसकी कार्यप्रणाली में से एक उम्मीदवारों के साथ संपर्क स्थापित करना और उन्हें उनके नाम, रोल नंबर आदि के अलावा आंसर शीट (ओएमआर पेपर) न भरने का निर्देश देना था. परीक्षा केंद्रों पर उनका संपर्क नोडल एजेंसियों से था. उसने उन खाली आंसर शीट को प्राप्त किया और उन्हें सही उत्तरों से भर दिया. मुख्य परीक्षा में भी इसी मोडस ऑपरेंडी का इस्तेमाल किया जा रहा था.
(इनपुट-आईएएनएस)
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