FTP 2023: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) पेश की. इसका उद्देश्य देश के निर्यात को 2030 तक 2,000 अरब डॉलर तक पहुंचाना, भारतीय रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाना और ई-वाणिज्य निर्यात को बढ़ावा देना है. एफटीपी 2023 का रुख प्रोत्साहन के बजाए छूट और पात्रता आधारित व्यवस्था को अपनाना है. साथ ही निर्यातकों, राज्यों, जिलों और भारतीय दूतावासों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, लेनदेन लागत घटाना और निर्यात केंद्र विकसित करना है.
देश का वस्तु व सेवा निर्यात शुक्रवार को समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष में 765 अरब डॉलर को पार कर सकता है. 2021-22 में यह 676 अरब डॉलर था. विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष सारंगी ने नई विदेश व्यापार नीति के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि परंपरागत रूप से पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति की घोषणा की जाती रही है, लेकिन इस नीति की कोई समाप्ति तिथि नहीं है और इसे बदलते वैश्विक परिदृश्य के मुताबिक अद्यतन किया जाता रहेगा.
इससे पहले, वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एफटीपी 2023 पेश की. यह 1 अप्रैल, 2023 से प्रभाव में आएगी. गोयल ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय अगले चार-पांच महीनों के दौरान क्षेत्रवार या देशों के स्तर पर दुनिया में एक व्यापक पहुंच बनाने पर जोर देगा. विदेशों में भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय विभाग के साथ मिलकर काम करेंगे. वाणिज्य मंत्री ने कहा, ‘‘आगे जाकर हमें अपने निर्यात लक्ष्यों को पूरा करना है. 2030 तक हम 2,000 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को पा लेंगे, लेकिन इसमें ऐसा नहीं होना चाहिए कि सेवा निर्यात, वस्तु निर्यात से अधिक हो जाए.’’
एफटीपी का उद्देश्य भारतीय रुपये में व्यापार को बढ़ावा देना और इसे वैश्विक रूप देना है. यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार में लेनदेन रुपये में करने का रास्ता खोलता है. वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि भारत ऐसे देशों के साथ भारतीय मुद्रा में व्यापार करने को तैयार है जो डॉलर की कमी या मुद्रा की विफलता का सामना कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय निर्यातकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनना होगा और उन्हें सब्सिडी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए.
(इनपुट:पीटीआई-भाषा)
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