पटना: बिहार में अग्निपथ योजना का विरोध करने के नाम पर पिछले महीने प्रदर्शनकारियों ने जमकर उपद्रव मचाया था. अराजक तत्वों ने कई ट्रेनों में आग लगा दी, वाहन फूंक दिए और सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाया. यहां तक कि प्रदर्शनकारियों ने छोटे-छोटे बच्चों से भरे स्कूल बसों पर भी हमला बोल दिया और पथराव किया. इधर, पटना हाईकोर्ट ने सरकारी सम्पत्तियों के नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है. यानी कि प्रदेश में उपद्रवियों से जुर्माना वसूलने की फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं होने जा रही है. याचिका में उन लोगों की भी जांच की मांग की गई थी, जिन्होंने छात्रों को उकसाया और अराजकता फैलाने वाले तत्वों की मदद की.
पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई की थी. अदालत को बताया गया कि जिम्मेदार अधिकारी उग्र आंदोलन को रोकने में विफल रहे हैं. इससे सैकड़ों करोड़ की सरकारी संपत्ति नष्ट हो गई. याचिका में मांग की गई थी कि इस आंदोलन में क्षतिग्रस्त हुई संपत्ति का आकलन कर आंदोलनकारियों से पैसा वसूल किया जाए. साथ ही, इस आंदोलन में शामिल राजनीतिक दलों पर भी जुर्माना लगाया जाए.
याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि समय रहते इस घटना को नहीं रोक पाने वाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाए और उन पर भी जुर्माना लगाया जाए. याचिका में कहा गया था कि इस हिंसक आंदोलन से न सिर्फ रेलवे को काफी नुकसान हुआ है, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई. दानापुर रेल मंडल को करीब 260 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया है.
वहीं, महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत को बताया कि बिहार सरकार इस आंदोलन से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार थी. सरकार ने आंदोलन को रोकने के लिए कड़े इंतजाम किए थे, लेकिन गलत मंशा से सरकार को बदनाम करने के लिए इस तरह की जनहित याचिका दायर की गई है. राज्य सरकार ने उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई की है. सरकारी सम्पत्तियों की सुरक्षा के लिए भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात किए गए थे. महाधिवक्ता का तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने जनहित याचिका खारिज कर दी.
ये भी पढ़ें- Bomb Blast: पटना सिविल कोर्ट में बम ब्लास्ट, दारोगा समेत तीन घायल