SC on Exchange of Rs 2000 Notes: सुप्रीम कोर्ट ने गर्मी की छुट्टी के दौरान अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की उस याचिका को सूचीबद्ध करने से शुक्रवार को फिर से इनकार कर दिया, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के 29 मई के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें बिना किसी पहचान के 2,000 रुपये के नोट बदलने की अनुमति दी गई थी. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और राजेश बिंदल की पीठ ने उपाध्याय से कहा कि जुलाई के पहले सप्ताह में अदालत के फिर से खुलने के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अपनी याचिका का उल्लेख करें.
पीठ ने कहा कि अन्य अवकाश पीठ ने पहले ही कहा था कि गर्मी की छुट्टी के बाद आओ और कहा, हमने रजिस्ट्रार की रिपोर्ट का अवलोकन किया. हमारी राय में, अवकाश पीठ के निर्देश को हम बदल नहीं सकते हैं. उपाध्याय ने कहा कि 10 दिनों में 1.8 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन किया गया है और केवल 10 करोड़ रुपये का कर चुकाया गया है. पीठ ने कहा कि छुट्टी के दौरान याचिका को सूचीबद्ध करने की कोई जल्दी नहीं है.
अवकाश के दौरान याचिका को सूचीबद्ध करने से पीठ के इनकार के बाद उपाध्याय ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. पीठ ने उनसे कहा कि यह अदालत है, सार्वजनिक मंच नहीं, इस तरह की टिप्पणी न करें और कुछ मर्यादा होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले भी 1 जून को दिल्ली हाईकोर्ट के 29 मई के फैसले को चुनौती देने वाली उपाध्याय की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था. जस्टिस सुधांशु धूलिया और के.वी. विश्वनाथन ने व्यक्तिगत रूप से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय से कहा, अदालत छुट्टी के दौरान इस प्रकार के मामलों को नहीं ले रही है और आप मुख्य न्यायाधीश से इसका उल्लेख कर सकते हैं.
(इनपुट-आईएएनएस)
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