रांची: झारखंड में कोर्ट फीस (Court Fee) में दस गुना तक बढ़ोतरी के खिलाफ राज्य भर के अधिवक्ता आंदोलित हैं. सोमवार को राज्य के 25 हजार से भी ज्यादा अधिवक्ताओं ने अदालती कामकाज का बहिष्कार किया. कुछ शहरों में अधिवक्ताओं ने मार्च निकालकर सरकार के फैसले पर विरोध दर्ज कराया. आंदोलित अधिवक्ताओं (Lawyers) का कहना है कि कोर्ट फीस में जबर्दस्त इजाफे से राज्य में आम आदमी के लिए न्याय पाना बेहद महंगा हो गया है. झारखंड हाईकोर्ट सहित राज्य के सभी जिलों और अनुमंडलों में स्थित अदालतों में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं ने काला बिल्ला भी लगाया.
सोमवार को कार्य बहिष्कार आंदोलन का आह्वान झारखंड राज्य बार काउंसिल (Jharkhand State Bar Council) ने किया, जिसे सभी बार एसोसिएशन ने समर्थन दिया. हालांकि, झारखंड हाईकोर्ट और कई अदालतों में न्यायाधीश अपने कक्ष में बैठे, लेकिन अधिवक्ताओं ने किसी अदालती कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया. इस वजह से हजारों मामलों की सुनवाई बाधित रही.
बता दें कि झारखंड सरकार ने कोर्ट फीस अधिनियम 2021 में संशोधन कर स्टांप फीस (Stamp Fee) छह से लेकर दस गुणा तक बढ़ा दिया है. विवाद संबंधित सूट फाइल करने में जहां 50 हजार रुपये लगते थे, अब अधिकतम तीन लाख रुपये तक की कोर्ट फीस लगेगी. जनहित याचिका (PIL) दाखिल करने में पहले ढ़ाई सौ रुपये कोर्ट फीस लगती थी. अब इसके लिए एक हजार रुपये की फीस तय की गयी है. झारखंड स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन राजेंद्र कृष्णा ने कहा कि यह अप्रत्याशित वृद्धि अव्यावहारिक है. इससे राज्य की गरीब जनता न्याय से दूर हो जाएगी. कोर्ट फीस बढ़ाने से पहले सरकार को एक ड्राफ्ट बनाना चाहिए था, जिस पर सभी लोगों से आपत्ति मांगनी चाहिए. लेकिन सरकार ने इन प्रक्रियाओं को पूरा नहीं किया है.
चेयरमैन ने कहा कि अगर राज्य सरकार (Jharkhand Government) कोर्ट फीस बढ़ोतरी वापस नहीं लेती है, तो बार काउंसिल इस पर कठोर निर्णय लेगी. रांची जिला बार एसोसिएशन के महासचिव संजय विद्रोही ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द कोर्ट फीस की बढ़ोतरी वापस ले, अन्यथा आने वाले समय में और जोरदार आंदोलन होगा.
(इनपुट-आईएएनएस)
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