Bihar Politics: पटना: बिहार में हाल ही में हुए उपचुनाव के नतीजों ने तय कर दिया है कि आने वाले समय में बिहार की राजनीति में छोटे दलों की अहमियत बढ़ेगी. इन उपचुनावों में जिस तरह छोटे दलों ने बड़ी पार्टियों के कथित वोट बैंक में सेंध लगाई है, उसे एक नए चलन की शुरुआत माना जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि इस ट्रेंड ने यह भी साबित कर दिया है कि अब किसी भी पार्टी का वोट बैंक सुरक्षित नहीं है.
मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को करीब 10 हजार वोट मिले, जबकि निषाद समाज के तीन उम्मीदवारों को कुल 9 हजार वोट मिले. बीजेपी समर्थक दावा करते रहे हैं कि उन्हें सवर्णों का वोट मिलता है. लेकिन, कुढ़नी में वीआईपी ने एक सवर्ण प्रत्याशी को मैदान में उतारा था. ऐसे में, यह तय माना जा रहा है कि उसे सवर्णों का वोट मिला और साथ ही निषाद समुदाय का वोट सिर्फ निषाद उम्मीदवार को मिला.
वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी का भी कहना है कि निषाद के बेटों को निषाद समुदाय का वोट मिला है. कोई नहीं कह सकता कि निषादों का वोट दूसरी पार्टियों को गया है. उन्होंने कहा कि भविष्य में इस मत विभाजन को रोकने के प्रयास किए जाएंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी को पूरे समाज का वोट मिला है. कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा का यहां तक कहना है कि वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने व्यक्तिगत और वोट की राजनीति के तहत कुढ़नी में अपना उम्मीदवार उतारा था. इस उपचुनाव में उनकी व्यक्तिगत राजनीति का नुकसान भी महागठबंधन को उठाना पड़ा.
कुढ़नी में भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता ने जदयू प्रत्याशी मनोज सिंह कुशवाहा को 3632 मतों से हराया था. वहीं, इस चुनाव में AIMIM प्रत्याशी गुलाम मुर्तजा को 3202 वोट मिले थे. माना जा रहा है कि यह वोट महागठबंधन को मिलता यह तय था. गोपालगंज उपचुनाव में राजद को इससे भी बड़ा झटका लगा था. यहां भी AIMIM ने उसके वोट बैंक में सेंध लगाई. गोपालगंज विधानसभा के लिए 3 नवंबर को हुए उपचुनाव में AIMIM को 12,214 वोट मिले थे. वहीं, गोपालगंज में बीजेपी प्रत्याशी ने RJD को 1794 वोटों के अंतर से हराया था.
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में लोजपा ने भी अपना उम्मीदवार उतारा था, जिससे जदयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. बताया जाता है कि इसी वजह से जदयू यहां तीसरे नंबर पर पहुंच गई. उस चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच सीटें जीती थीं और 24 सीटों पर महागठबंधन को भारी नुकसान पहुंचाया था. हालांकि, इतना तय है कि अपेक्षाकृत नए और छोटे दल जो किसी भी गठबंधन से अलग होकर स्वतंत्र रूप से चुनावी मैदान में उतरे हैं, उन्हें गठबंधनों और बड़ी पार्टियों के वोट मिल रहे हैं और ये छोटे दल आने वाले दिनों में राजनीति में क्या गुल खिलाते हैं, यह देखने वाली बात होगी.
(इनपुट-आईएएनएस)
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