पटना: बिहार में महागठबंधन सरकार बनने के साथ ही राजद (RJD) के लिए मुसीबतों का दौर भी जारी है. पहले सरकार में मंत्री रहे कार्तिकेय सिंह व सुधाकर सिंह के इस्तीफे से राजद को झटका लगा तो अब प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) के इस्तीफा की भी चर्चा हो रही है. इस समय जगदानंद सिंह पार्टी से नाराज चल रहे हैं. जगदानंद कल राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे. अब मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खबरें आ रही हैं कि उन्होंने लालू प्रसाद यादव को अपना इस्तीफा भेज दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, खबर है कि जगदानंद सिंह ने राजद के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. दूसरी तरफ, यह भी बताया जा रहा है कि 80 वर्ष के जगदानंद स्वास्थ्य कारणों से बतौर अध्यक्ष पार्टी में नहीं बने रहना चाहते हैं. हालांकि, इस प्रकरण में अंतिम निर्णय लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को ही लेना है. यह भी चर्चा है कि पूरा राजद कुनबा जगदानंद सिंह को मनाने में लग गया है.
ऐसा माना जा रहा है कि जगदानंद सिंह अपने बेटे सुधाकर सिंह के कृषि मंत्री पद से इस्तीफा के बाद से पार्टी से नाराज थे. यही कारण है कि उन्होंने पिछले कुछ दिनों से पार्टी से दूरी बनाई थी. दरअसल, सुधाकर सिंह नीतीश सरकार से खुश नहीं थे. वह लगातार सरकार और नौकरशाह के खिलाफ बयान देकर सरकार की आलोचना कर रहे थे. कृषि मंत्री सुधाकर सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के लिए समस्या बन गए थे. वहीं, जगदानंद सिंह ने हाल ही में कहा था कि कृषि मंत्री किसानों के हक में अपनी आवाज उठा रहे थे, लेकिन अंत में उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया, ताकि लड़ाई आगे नहीं बढ़े. बता दें कि सुधाकर सिंह ने हाल ही में अपने विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए कहा था कि हमें नहीं लगता कि बिहार राज्य बीज निगम से मिले बीज किसान अपने खेतों में लगाते हैं.
सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh) ने कहा था कि बीज निगम वाले 150-200 करोड़ रुपये इधर ही खा जाते हैं. हमारे विभाग में कोई ऐसा हिस्सा नहीं है, जो चोरी नहीं करता है. इस तरह हम चोरों के सरदार हुए. हम सरदार ही कहलाएंगे न. जब चोरी हो रही है तो हम उसके सरदार हुए न. राष्ट्रीय जनता दल में चल रहा अंदरूनी कलह अब चरम पर आ गया है. वहीं, यह भी चर्चा होने लगी है कि प्रदेश में राजद का अगला अध्यक्ष कौन होगा. हालांकि, इस श्रृंखला में कई नेताओं के नाम हैं, लेकिन अब्दुल बारी सिद्दीकी (Abdul Bari Siddiqui) का नाम सबसे ऊपर है.