Bihar Politics: पटना: बिहार में जातीय गणना में भाजपा जहां गड़बड़ी के आरोप लगाकर खुद को कई वर्गों की हितैषी साबित करने में जुटी है, वहीं दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के इस्तीफे के बाद विधान परिषद की सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के पुत्र राजवर्धन आजाद को भेजकर एक नई चाल चली है. माना जा रहा है कि नीतीश ने इस सधी चाल के जरिए न केवल भाजपा के इस हथियार को कुंद करने की कोशिश की है, बल्कि भाजपा की माने जाने वाली सवर्ण जाति के वोट बैंक में भी सेंध लगाने की कोशिश की है.
इसमें कोई शक नहीं कि बिहार में जाति आधारित गणना रिपोर्ट के जारी होने के बाद से ही प्रदेश में सियासी समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं. रिपोर्ट के जारी होने के बाद नीतीश कुमार अब सवर्ण समुदाय को साधने की कोशिश में हैं. राजवर्धन आजाद को एमएलसी बनाना सवर्णों को साधने से ही जोड़कर देखा जा रहा है. इससे पहले भी जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन से बढ़ी नजदीकियों और उन्हें जेल से बाहर लाने के लिए जेल मैन्युअल में परिवर्तन भी इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है.
जदयू के एक नेता भी मानते हैं कि राजद के साथ जाने के बाद जदयू से जो सवर्ण मतदाता जुड़े होंगे, वे साथ ही रहेंगे, इसमें शक है. भाजपा के सत्ता में आने के बाद, खासकर सवर्ण वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के बाद ज्यादातर सवर्ण समुदाय भाजपा को मजबूत करते आ रहे हैं. ऐसे में, जदयू की नजर सवर्ण मतदाताओं को जोड़ने पर है. इस बीच, बिहार की राजनीति में आनंद मोहन के भी जदयू में जाने की चर्चा है. पिछले दिनों आनंद मोहन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने मुख्यमंत्री आवास भी पहुंचे थे. खबर तो यह भी है कि नीतीश जल्द ही आनंद मोहन के गांव जाने वाले हैं.
(इनपुट-आईएएनएस)
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