पटना: बिहार में मंदिर के नाम पर राजनीति कोई नई बात नहीं है. इसी क्रम में अब मां जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी के पुरौना धाम में भव्य मंदिर निर्माण को लेकर भाजपा और जदयू में बयानबाजी शुरू हो गई है. जदयू ने अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की तरह बिहार में माता सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी में सीता मंदिर बनाने की मांग की है.
बिहार के मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता विजेंद्र यादव ने कहा कि जिस तरह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में भाजपा नेता सक्रिय रूप से शामिल थे, उसी तरह माता सीता के मंदिर के लिए पहल क्यों नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा कि अयोध्या में मंदिर का नाम राम मंदिर दिया जा रहा है, जबकि इसका नाम सीता राम रखा जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर बनवाती है तो बिहार में माता सीता का मंदिर बनवाना उनकी जिम्मेदारी बनती है. यह महिलाओं के प्रति अनादर का सवाल है.
जदयू मंत्री ने आगे कहा कि यह बिहार और मिथिलांचल की उपेक्षा है. उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बताएं कि वे कितनी बार जनकपुर गए और माता सीता के मंदिर गए? जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद माता सीता के घर गए थे. भाजपा सरकार ने राम जानकी हाईवे बनवाया और इसके साथ ही अयोध्या से जनकपुर तक ग्रीन फोरलेन सड़क बनाई जा रही है.
बीजेपी नेता और सांसद सुशील मोदी ने कहा कि अयोध्या श्रीराम की जन्मभूमि है और वहां पहले श्रीराम का मंदिर था. जब कोर्ट में ये बात पुरातात्विक साक्ष्यों से साबित हो चुकी है तो बिहार सरकार के एक मंत्री इसका नाम सीता राम मंदिर रखने की बात करके नया विवाद क्यों खड़ा करना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण, नामकरण और पुनरूद्धार जैसे कार्य साधु-संतों और श्रद्धालुओं के हैं, भाजपा या किसी राजनीतिक दल के नहीं. लेकिन जदयू मंत्री इस पर राजनीति कर रहे हैं.
सुशील मोदी ने कहा कि श्रीराम, देवी सीता और रामायण संस्कृति का सम्मान करना केवल भाजपा का दायित्व नहीं है, लेकिन मंत्री के बयान से लगता है कि जदयू और महागठबंधन सरकार का सीता-राम से कोई लेना-देना नहीं है.
(इनपुट-आईएएनएस)
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