Attack on Anant Singh: बिहार की राजनीति और अपराध जगत का अटूट संबंध किसी से छिपा नहीं है. बुधवार को मोकामा के नौरंगा गांव में पूर्व विधायक और बाहुबली नेता अनंत सिंह पर हुए हमले ने एक बार फिर राज्य में अपराध की गहरी जड़ों को उजागर कर दिया है. इस हमले के पीछे सोनू-मोनू गैंग का नाम सामने आया है. सवाल यह है कि सोनू-मोनू कौन हैं और इस गैंग का प्रभाव कितना गहरा है?
सोनू-मोनू गैंग: बिहार के कुख्यात अपराधी
सोनू-मोनू गैंग बिहार के मोकामा, बाढ़ और आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय एक कुख्यात गिरोह है. यह गैंग जमीन विवाद, ठेकेदारी और वर्चस्व की लड़ाई के लिए जाना जाता है. इनके आपराधिक इतिहास में हत्या, लूट, रंगदारी और अपहरण जैसे गंभीर मामले शामिल हैं.
गिरोह की पृष्ठभूमि
सोनू और मोनू: इस गैंग का संचालन दो भाइयों, सोनू और मोनू द्वारा किया जाता है. ये दोनों अपने इलाके में वर्चस्व स्थापित करने के लिए अक्सर हिंसक गतिविधियों में शामिल रहते हैं.
राजनीतिक संरक्षण: इस गिरोह को राजनीतिक संरक्षण मिलने की भी बात कही जाती है, जिसकी वजह से ये बेखौफ होकर अपनी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं.
आर्थिक स्रोत: अवैध वसूली, जमीन कब्जा और शराब माफिया से जुड़ाव इस गैंग के मुख्य आय स्रोत हैं.
अनंत सिंह और सोनू-मोनू गैंग का टकराव
अनंत सिंह, जिन्हें “छोटे सरकार” के नाम से जाना जाता है, मोकामा क्षेत्र के प्रभावशाली नेता रहे हैं. उनका प्रभाव इलाके के लोगों के बीच गहराई तक है. लेकिन सोनू-मोनू गैंग ने हाल के वर्षों में अपने वर्चस्व को बढ़ाने के लिए अनंत सिंह के प्रभाव को चुनौती दी है. बता दें कि सोनू और मोनू सगे भाई हैं और मोकामा के जलालपुर गांव के रहने वाले हैं. शुरुआत में दोनों अनंत सिंह के लिए काम करते थे, लेकिन अब उनके बीच दुश्मनी है.
22 जनवरी 2025 को नौरंगा गांव में अनंत सिंह के समर्थकों और सोनू-मोनू गैंग के बीच हिंसक झड़प हुई. घटना में करीब 60-70 राउंड गोलियां चलीं, जिसमें अनंत सिंह के एक समर्थक घायल हो गए. यह झड़प तब शुरू हुई, जब अनंत सिंह ग्रामीणों के साथ एक मकान के विवाद को सुलझाने पहुंचे थे.
पुलिस और प्रशासन की भूमिका
घटना के बाद पुलिस ने मौके से तीन खोखे बरामद किए और मामले की जांच शुरू कर दी है. हालांकि, सोनू-मोनू गैंग की गतिविधियों पर पहले से ही नजर थी, लेकिन इस घटना ने प्रशासन को और सतर्क कर दिया है.
इस गिरोह का प्रभाव और खतरा
सोनू-मोनू गैंग जैसे गिरोह न केवल मोकामा, बल्कि पूरे बिहार में कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बने हुए हैं. इनकी बढ़ती ताकत राज्य में अपराध और हिंसा की नई लहर को जन्म दे सकती है.
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