पटना: नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन से बाहर होने के बाद महागठबंधन सरकार के खिलाफ शंखनाद करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह शुक्रवार को दो दिवसीय दौरे पर बिहार पहुंचे हैं. नीतीश कुमार के खिलाफ शंखनाद की शुरुआत करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार के उस सीमांचल इलाके को चुना है जिसे अल्पसंख्यक बहुल होने के कारण महागठबंधन का मजबूत इलाका माना जाता है. लेकिन अमित शाह अपने इस दो दिवसीय दौरे के दौरान इसी सीमांचल के पूर्णिया जिले में जन भावना महासभा यानी एक बड़ी रैली को संबोधित करेंगे और किशनगंज में पार्टी नेताओं के साथ बड़ी बैठक कर चुनावी जीत हासिल करने की रणनीति पर चर्चा भी करेंगे.
अमित शाह किशनगंज में बिहार से जुड़े पार्टी के सभी सांसदों, विधायकों और पूर्व मंत्रियों के साथ बैठक कर राज्य के राजनीतिक हालात पर फीडबैक लेंगे और नीतीश कुमार के साथ छोड़ने के बाद पूरे राज्य में चलाए गए विश्वासघात अभियान की समीक्षा करने के साथ ही नेताओं को पूरे प्रदेश में पार्टी को अपने स्तर पर मजबूत बनाने का मंत्र भी देंगे. इसके साथ ही शाह किशनगंज में ही भाजपा प्रदेश कोर समिति के नेताओं के साथ भी अलग से बैठक करेंगे. शाह शुक्रवार को किशनगंज में ही रात्रि भोजन करेंगे. शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ऐतिहासिक बूढ़ी काली मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद एसएसबी के साथ बैठक के अलावा कई अन्य सरकारी कार्यक्रमों में भी शामिल होंगे.
अमित शाह के सीमांचल के इस दो दिवसीय दौरे को कई मायनों में महत्वपूर्व माना जा रहा है. नीतीश कुमार के भाजपा से अलग होने के बाद अमित शाह पहली बार बिहार के दौरे पर जा रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज को छोड़कर पूरे सीमांचल में एनडीए को बड़ी जीत मिली थी, लेकिन इस बार भाजपा अकेले दम पर सीमांचल के मुस्लिम बहुल किशनगंज के अलावा पूर्णिया, कटिहार और अररिया में भी अपनी ताकत साबित करना चाहती है. जेडीयू से गठबंधन के कारण सीट बंटवारे की समस्या की वजह से भाजपा के कई नेता जो अलग-अलग समय पर पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं उन्हें भी इस यात्रा के दौरान फिर से भाजपा के साथ जोड़ने की कोशिश की जाएगी.
अमित शाह के इस दौरे से एक दिन पहले पीएफआई के खिलाफ देश भर में उठाए गए सख्त कदम का भी सकारात्मक असर इस दौरे के दौरान दिखाई दे सकता है. दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने बल पर 35 प्लस सीट जीतने का लक्ष्य रखा है और अमित शाह के इस दौरे को लोकसभा चुनाव अभियान के श्रीगणेश यानी नीतीश-लालू महागठबंधन के खिलाफ शंखनाद के तौर पर भी देखा जा रहा है.
(इनपुट-आईएएनएस)