Gyanvapi Mosque Case: इस समय देश में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर दो धार्मिक समुदायों के बीच विवाद छिड़ा हुआ है. सर्वे में ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा किए जाने के बाद भारत की राजनीति भी फिलहाल गरमाई हुई है. इधर, विश्व हिंदू परिषद (VHP) के प्रमुख आलोक कुमार ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सहमति जताई और दावा किया कि हिंदू पक्ष यह साबित करने में सक्षम होगा कि पाया गया शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट से सहमत हैं कि यह मामला जटिल है और इसके लिए एक गंभीर और अनुभवी जज की जरूरत है. कोर्ट ने कहा है कि जिला अदालत इस मामले को देखेगी. हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से सहमत हैं.
हम साबित करेंगे कि यह मूल ज्योतिर्लिंग है- विहिप
विहिप प्रमुख ने कहा कि वे यह साबित करने में सक्षम होंगे कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पाया गया ‘शिवलिंग’ ज्योतिर्लिंगों में से एक है. हम मानते हैं कि यह शिवलिंग है, क्योंकि नंदी इसे देख रहे हैं और स्थान से पता चलता है कि यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मूल ज्योतिर्लिंग है और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वजूखाना मुगलों द्वारा आक्रमण किए गए पुराने मंदिर के खंडहरों पर बनाया गया है. हम इसे कोर्ट में साबित कर देंगे और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा. उन्होंने कहा कि न्यायाधीश को स्थानीय आयुक्त की रिपोर्ट लेने के लिए अधिकृत किया गया है और हम साबित करेंगे कि यह मूल ज्योतिर्लिंग है.
ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर लागू नहीं होगा 1991 का अधिनियम
विहिप नेता ने आगे दावा किया कि 1991 का अधिनियम ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर लागू नहीं होगा. पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 पर विहिप नेता ने कहा कि मुझे विश्वास नहीं है कि 1991 अधिनियम इस पर लागू होगा. क्योंकि अधिनियम में कहा गया है कि यदि धार्मिक स्थान किसी अन्य अधिनियम पर काम करता है तो यह अधिनियम प्रभावी नहीं है और काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए पहले से ही एक अलग कानून है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी संकेत दिया है कि अधिनियम इस मामले की सुनवाई को नहीं रोकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज को ट्रांसफर किया ज्ञानवापी केस
इससे पहले, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले को सिविल जज से जिला जज वाराणसी को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने आदेश दिया कि उत्तर प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा के एक वरिष्ठ और अनुभवी न्यायिक अधिकारी को मामले की जांच करनी चाहिए.
(इनपुट-एएनआई)