Netaji Subhas Chandra Bose Jayanti: खून के बदले आजादी देने का वादा करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा है. 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा (अब ओडिशा) के कटक में एक संपन्न बांग्ला परिवार में जन्मे बोस अपने देश के लिए हर हाल में आजादी चाहते थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम कर दिया और अंतिम सांस तक देश की आजादी के लिए संघर्ष करते रहे.
‘नेताजी’ हर कीमत पर मां भारती को आजादी की बेड़ियों से मुक्त कराने को आतुर देश के उग्र विचारधारा वाले युवा वर्ग का चेहरा माने जाते थे. वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. देश की स्वतंत्रता के इतिहास के महानायक बोस का जीवन और उनकी मृत्यु भले ही रहस्यमय मानी जाती रही हो, लेकिन उनकी देशभक्ति सदैव असंदिग्ध और अनुकरणीय रही.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पराक्रम दिवस के अवसर पर महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया. सरकार ने साल 2021 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. मोदी ने एक ट्वीट में कहा, “आज पराक्रम दिवस पर मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और भारत के इतिहास में उनके अद्वितीय योगदान को याद करता हूं.”
पीएम मोदी ने कहा कि औपनिवेशिक शासन का कड़ा विरोध करने के लिए नेताजी को याद किया जाएगा. उनके विचारों से प्रभावित होकर, हम भारत के लिए उनके दृष्टिकोण को साकार करने के लिए काम कर रहे हैं. पराक्रम दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े द्वीपों का नामकरण परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करेंगे.
(इनपुट:पीटीआई-भाषा)