Political Battle on Social Media: यह बात सही है कि दुनिया के सबसे विशाल लोकतांत्रिक देश भारत में ईवीएम पर अपना वोट देकर मतदाता अपनी सरकार का चुनाव करते हैं. लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय तक, हर स्तर के चुनाव से पहले भारत में राजनीतिक दल और उम्मीदवार चुनावी रैलियां करते हैं, जनसंपर्क के जरिए मतदाताओं को साधने की कोशिश करते हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया राजनीतिक लड़ाई का सबसे बड़ा अखाड़ा बन गया है.
सोशल मीडिया यह तय करने लग गया है कि मतदाता किन मुद्दों से प्रभावित होकर वोट करेगा, अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेगा. यही वजह है कि भारत के वर्तमान चुनावी परिदृश्य में सोशल मीडिया का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ गया है. इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि वर्तमान में भारत में सोशल मीडिया राजनीतिक लड़ाई का सबसे बड़ा और प्रभावी मैदान बन गया है. राजनीतिक दलों की बात करें तो सबसे पहले सोशल मीडिया का महत्व भाजपा को ही समझ आया. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर देश में अपनी पार्टी और अपने प्रधानमंत्री पद के तत्कालीन उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के पक्ष में सकारात्मक माहौल का निर्माण किया था.
उस समय तक कांग्रेस सोशल मीडिया के महत्व को समझ नहीं पाई थी, लेकिन लगातार मिली चुनावी हार ने कांग्रेस के रणनीतिकारों को यह समझा दिया कि अगर भाजपा से लड़ाई लड़नी है तो जमीन के साथ-साथ सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म्स पर भी भाजपा को हराना होगा. धीरे-धीरे ही सही, देश के तमाम राजनीतिक दल भी अब सोशल मीडिया का चुनावी महत्व समझ चुके हैं और लगभग देश के हर राजनीतिक दल ने सोशल मीडिया हैंडल करने के लिए अपने अपने दलों में आईटी सेल का भी गठन कर दिया है. हालांकि सोशल मीडिया पर लड़ाई की बात करें तो भाजपा और कांग्रेस इन दोनों दलों के सोशल मीडिया या यूं कहें कि आईटी सेल में पिछले कुछ वर्षों के दौरान राजनीतिक लड़ाई में काफी तेजी आई है.
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता, कार्यकर्ता और सोशल मीडिया टीम से जुड़े व्यक्ति और समर्थक सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स के जरिए लगातार एक दूसरे पर राजनीतिक हमला करते हैं, निशाना साधते हैं और एक दूसरे के नेताओं की पोल खोलने की कोशिश भी करते हैं और दिनों-दिन यह राजनीतिक लड़ाई तेज होती जा रही है. अब तो यह लड़ाई पुलिस थाने, एफआईआर और अदालत के दरवाजे तक भी पहुंचने लगी है. हाल ही में कांग्रेस सांसद हिबी ईडन ने भाजपा नेता प्रीति गांधी पर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को बाधित करने के लिए फर्जी और विभाजनकारी खबरें फैलाने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी.
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कांग्रेस सांसद की शिकायत की उस कॉपी को ट्विटर पर ही शेयर करते हुए कहा था कि उन्होंने भाजपा नेताओं और उनके भक्तों की ऑनलाइन हेट फैक्ट्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है और कांग्रेस इस तरह के मामले को हल्के में नहीं लेगी. हालांकि भाजपा नेता प्रीति गांधी ने कांग्रेस सांसद की शिकायत पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनसे पहले 100 लोग वह ट्वीट कर चुके थे और उन्होंने जब रात को डेढ़ बजे वह ट्वीट किया तो तीन मिनट के अंदर ही उन्हें स्वयं इस बात का अहसास हुआ कि दोनों तस्वीरों में लड़की अलग-अलग है तो उन्होंने तुरंत ही अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया.
प्रीति गांधी ने ऑनलाइन हेट फैक्ट्री के आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए यह भी कहा कि योगेंद्र यादव, देश को बांटने की मांग करने वाले पादरी के साथ राहुल गांधी की मुलाकात और कन्हैया कुमार को लेकर जो उन्होंने ट्वीट किया था, वो आज भी उस पर कायम हैं और लगातार यह सवाल उठाती रहेंगी कि यह भारत जोड़ो यात्रा है या भारत तोड़ो यात्रा है. उन्होंने कहा कि यह सवाल पूछना उनका अधिकार है और क्या यह सवाल पूछने के लिए उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा? सोशल मीडिया की लड़ाई के पुलिस थानों, एफआईआर, मुकदमे और जेल पहुंचने के कारणों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस, लेफ्ट फ्रंट, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस जैसे राजनीतिक दलों की सरकारें अपनी-अपनी पुलिस का गलत इस्तेमाल कर रही है, दुरुपयोग कर रही है.
प्रीति गांधी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि 70 सालों तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस ने अपने हिसाब से कई गलत नैरेटिव को सेट किया था और आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने देश के आम नागरिकों को यह अधिकार दे दिया है कि वो गलत बातों पर और गलत नैरेटिव पर सवाल खड़े कर इन्हें बेनकाब करें. सोशल मीडिया राजनीतिक लड़ाई का मैदान तो काफी पहले ही बन गया था, लेकिन अब नेता इसी सोशल मीडिया पर एक-दूसरे पर हमला भी बोलने लग गए हैं. हाल ही में कांग्रेस के मीडिया प्रभारी पवन खेड़ा ने भाजपा नेता के खिलाफ अपनी पार्टी के नेता द्वारा की गई आपराधिक शिकायत को ट्विटर पर शेयर किया तो उसी पर पलटवार करते हुए भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने यह आरोप लगा दिया कि कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ कई फर्जी केस लगाए हैं.
जाहिर तौर पर मालवीय कांग्रेस पर अपने राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार का दुरुपयोग कर भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज करवाने का आरोप लगा रहे थे. मालवीय ने तो केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ कांग्रेस नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों पर पलटवार करते हुए यह भी कहा कि राहुल गांधी को अमेठी में हराने वाली मंत्री की नाबालिग बच्ची के बारे में झूठी खबरें फैलाने वाले कांग्रेस की सच्चाई अदालत में भी जाहिर हो चुकी है. कांग्रेस नेताओं द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ किए जा रहे एफआईआर का सोशल मीडिया पर ही जवाब देते हुए मालवीय ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज करवाएं जा रहे हैं और भाजपा इन सभी मामलों का अदालत में जवाब देगी. उन्होंने साफ किया कि भाजपा अपने लोगों के साथ खड़ी है.
(इनपुट-आईएएनएस)
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