IAC Vikrant: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को कोच्चि में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत (IAC Vikrant) को इंडियन नेवी को सौंपा. अब इसके साथ ही समुंदर में भी भारत अपनी ताकत को और मजबूत करेगा. पीएम मोदी ने आईएसी विक्रांत को समुद्र में उतारने से पहले देश की विरासत के अनुरूप नए नौसेना पताका (निशान) का भी अनावरण किया.
स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत (IAC Vikrant) का नाम 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले देश के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) के नाम पर रखा गया है. बता दें कि भारत के समुद्री इतिहास में निर्मित यह अब तक का सबसे बड़ा जहाज है. इसे भारतीय नौसेना के इन-हाउस वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है. पीएम के अनुसार, विक्रांत सिर्फ एक जंगी जहाज नहीं, बल्कि 21वीं सदी के भारत की कड़ी मेहनत, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है. पोत में बड़ी मात्रा में स्वदेशी उपकरण और मशीनरी हैं, जिसमें 100 से अधिक एमएसएमई शामिल किए गए हैं. विक्रांत के चालू होने के साथ, इंडिया के पास दो ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे.
इंडियन नेवी (Indian Navy) के अनुसार, 262 मीटर लंबे वाहक का पूर्ण विस्थापन लगभग 45 हजार टन है जो कि उसके पूर्ववर्ती की तुलना में काफी बड़ा और अधिक उन्नत है. विक्रांत के साथ, भारत उन चुनिंदा देशों के ग्रुप में शामिल हो गया है, जिनके पास स्वदेशी रूप से विमानवाहक पोत के डिजाइन और निर्माण की विशिष्ट क्षमता है.
IAC Vikrant में 2,300 डिब्बों के साथ 14 डेक हैं जो लगभग 1,500 समुद्री योद्धाओं को ले जाने में समर्थ हैं. भोजन की जरूरतों को पूरा करने के लिए, जहाज की रसोई, जिसे जहाज की गली कहा जाता है में लगभग 10 हजार चपाती या रोटियां बनाई जा सकती हैं. जहाज कुल 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित है और इसकी मैक्सिमम स्पीड 28 समुद्री मील है. लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की कुल लागत पर निर्मित, प्रोजेक्ट को MoD और CSL के बीच अनुबंध के तीन चरणों में आगे बढ़ाया गया है.
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