Wheat Flour Export: आर्थिक मामलों की केंद्रीय मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने गुरुवार को कमोडिटी की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए गेहूं के आटे या मेसलिन के आटे के निर्यात को प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इससे गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगेगा, जिससे न केवल इसकी कीमतों में कमी आएगी, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के लिए खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी.
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) इस फैसले के संबंध में अधिसूचना जारी कर सकता है. गेहूं के आटे के निर्यात को प्रतिबंधित करने का निर्णय वैश्विक स्तर पर जिंस की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि के मद्देनजर आया है, क्योंकि इस साल मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक गेहूं आपूर्ति चेन में व्यवधान आया है, जिसके कारण भारतीय गेहूं की मांग में वृद्धि हुई है. दोनों युद्धरत देश गेहूं के प्रमुख निर्यातक हैं और जिंस के वैश्विक व्यापार का एक चौथाई हिस्सा रखते हैं.
बढ़ती मांग के परिणामस्वरूप, गेहूं की घरेलू कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई, इस प्रकार सरकार को मई में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि, इससे विदेशी बाजारों में गेहूं के आटे की मांग में तेजी आई. सूत्रों ने कहा कि भारत ने अप्रैल-जुलाई 2022 की अवधि के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में गेहूं के आटे के निर्यात में 200 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. गेहूं के आटे की बढ़ती मांग के कारण घरेलू स्तर पर इसकी कीमतों में तेजी आई, जिससे गुरुवार को इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
(इनपुट-आईएएनएस)
ये भी पढ़ें- DRDO और Navy ने VL-SRSAM मिसाइल का किया सफल परीक्षण, दुश्मनों के छूट जाएंगे छक्के