Bihar Politics: बिहार के नवनियुक्त कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह (kartikeya Singh) खुद कानून के अनुसार अपराधी हैं. अपहरण और अन्य आपराधिक गतिविधियों के आधार पर उनके नाम वारंट था. लेकिन उन्होंने न तो अदालत में आत्मसमर्पण किया और न ही किसी सुनवाई में पेश हुए. उन्हें अग्रिम जमानत दी गई थी, जो पहले ही 14 अगस्त को समाप्त हो चुकी है और पुलिस के सामने सरेंडर करने का दिन 16 अगस्त था.
बता दें कि राजद एमएलसी कार्तिकेय सिंह को राज्य के कानून मंत्री (Law Minister) के रूप में शामिल करने पर विवाद छिड़ गया है. कार्तिकेय सिंह को अपहरण के एक मामले में 16 अगस्त को दानापुर कोर्ट में आत्मसमर्पण करना था, लेकिन वह बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व वाली सरकार में नए मंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए पटना के राजभवन पहुंचे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कैबिनेट में दागी मंत्री के बारे में पूछे जाने पर बिहार के सीएम ने जवाब दिया, “मुझे नहीं पता, मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.”
कार्तिकेय सिंह और 17 अन्य के खिलाफ पटना के बिहटा थाने में 2014 में अपहरण का मामला दर्ज किया गया था. उन पर हत्या की नीयत से एक बिल्डर के अपहरण की साजिश रचने का आरोप है. इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है. सिंह के खिलाफ 14 जुलाई 2022 को वारंट जारी किया गया था और उन्हें 16 अगस्त 2022 को आत्मसमर्पण करना था. लेकिन वह अदालत में आत्मसमर्पण करने के बजाय शपथ लेने पहुंच गए.
इधर बिहार के नवनियुक्त कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह उर्फ कार्तिक कुमार के खिलाफ अपहरण कांड में अरेस्ट वारंट (Arrest Warrant) जारी होने के बाद राज्य में राजनीति गर्मा गई है. भाजपा ने उन्हें तुरंत पद से हटाने की मांग की है. बीजेपी नेता सीएम सुशील मोदी ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार फौरन कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह को बर्खास्त करें. जिस दिन उन्हें अदालत में आत्मसपर्पण करना था, उस दिन वे मंत्री पद की शपथ ले रहे थे.
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